शनिवार, 14 अप्रैल 2012

कहानी- संस्कार Kahaani- Sanskaar




एक छोटी बच्ची ने बड़े ही उत्सुकतावश माँ से पूछा-
"माँ माँ, ये शर्म क्या चीज़ होती है?"
माँ हंसी और मुस्कुरा के जवाब दी- अरे बिटिया ये कोई चीज़ नहीं, औरत का गहना होती है."
बच्ची ने माँ का मंगलसूत्र पकड़ते हुए पूछा - "क्या इसे शर्म कहते हैं?"
"ना बेटी, ये तो औरत के सुहाग की निशानी होती है."
ये जवाब सुनकर बेटी ने फिर माँ के माथे पर लगे सिंदूर की तरफ इशारा कर के पूछा-
"तो इसे कहते होंगे. हैं ना माँ ?"
"ना रे, तू तो अभी बच्ची है,
शर्म होती है लाज, हया,
तू ऐसे समझ,
जब कोई अजनबी मेहमान हमारे घर आता है
तो तू कैसे परदे के पीछे छुप कर उनको देखती है
और बुलाने पे भी उनके पास नहीं आती.. "
बेटी ने माँ को बीच में ही टोका -
"पर वो तो मुझे डर लगता है ना उनसे,
तभी नहीं जाती उनके पास.."

माँ मुस्कुरा के बेटी के सर पर हाथ फेरती हुयी बोली-
"हाँ, तू इसे डर का नाम दे सकती है..
लेकिन असल में ये तेरी शर्म ही है
जो बड़ों का सम्मान, संकोच, थोडा सा डर और
हम औरतों के स्त्रीत्व की पहचान होती है"

"पर तुम तो मुझे किसी से भी डरने से मन करती हो, भूत से भी नहीं..
फिर डरना क्यूँ सिखा रही हो ?''

"ये डर असल में डर होते हुए भी एक जरुरी हिस्सा होता है सभी इंसानों के लिए ,
अगर इंसान को उपरवाले का डर ना हो तो वो खुद को ही भगवान् समझने लगेगा
और ना जाने कितनो को अपना राक्षसी रूप दिखा के लूटेगा ,
अगर बच्चों को बड़ो का डर ना हो तो वो गलत रस्ते पे चले जायेंगे
और बाद में उनके ठोकर खाने पे उसके माँ बाप को ही ज्यादा दुःख होता है ,
तभी तो मैं तेरी दादी के सामने ज्यादा नहीं बोलती और सर झुकाए घूंघट किये खड़ी रहती हूँ ,
ये उनका सम्मान है तभी तो देख हम सबको दादी कितना प्यार करती हैं..''

''ह्म्म्म, और अगर मैं अपनी सास के सामने तुम्हारे जैसे घूँघट ना करू तो ?''
बच्ची ने दोनों भ्रकुटियों में हल्का सा तनाव ला कर पूछा तो उसकी माँ ने प्यार से समझाया -'
'तो ये तेरी मर्जी, लेकिन उनका सम्मान रखना, कहा मानना , सेवा करना मत भूलना ..
क्यूँ कि तुझे मैं जिंदगीभर के लिए जो दे सकती हूँ वो है संस्कार ,
जो मैंने अपने माँ बाप से सीखा और यही संस्कार हमेशा तुझे
मेरी बेटी होने का एहसास गर्व से दिला सकता है ..
आजकल देख रही है ना ! कैसे माँ बाप हो गए हैं जो खुद तो गलती करते हैं
बच्चो में भी गलत संस्कार डाल रहे हैं .
इस से पूरी की पूरी पीढ़ी का परिवार बर्बाद हो रहा है ..''

बेटी ने तपाक से कहा -
''नहीं माँ मै अपना परिवार कभी नहीं बिखरने दूंगी ,
सभी बड़ों का सम्मान करुँगी ,
और हर जगह आपका नाम रोशन करुँगी ..
मुझे मेरा जेवर मिल गया माँ ..!''

ये कहते हुए बेटी ने जैसे ही शरमाकर
नज़रे नीची कर के सिर को झुकाया
माँ ने अपनी बेटी को गले से लगा लिया
और प्यार से उसके माथे को चूम लिया.


---गोपाल के.

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